कभी कभी लगता है
दोस्तोको छोड कर दुश्मानोंकोहि मिल आऊ
कम से कम दुश्मानोंके साथ लढ़ के मरुंगा
कंबख्त हमारे दोस्त हि ऐसें है
खाना खिला खिला के हि मार देते
कम से कम दुश्मानोंके साथ लढ़ के मरुंगा
कंबख्त हमारे दोस्त हि ऐसें है
खाना खिला खिला के हि मार देते
No comments:
Post a Comment